क्या आपको मालूम है माँ नर्मदा से जो नर्मदेश्वर शिवलिंग निकलतै है !
ये स्वयं सिद्ध होते है इन्हें प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है
Shivansh Narmadeshwar Shivling : माँ नर्मदा जी से निकलने वाले शिवलिंग भी कुल 9 रूपो में होते है
कालग्नि
ईशान
महाकाल
महामर्तुंजय
स्वयंभू
ओंकार
नीलकंठ
अर्धनारेश्वर
त्रिकुंडल
नर्मदेश्वर शिवलिंग हम नर्मदा पुराण के अनुसार घर में अंगूठे से लगाकर के हथेली के बराबर तक रख सकते हैं अर्थात् 2 इंच से लगातार 9 इंच तक रख सकते हैं
इसके अतिरिक्त अगर हम घर नर्मदेश्वर शिवलिंग रखते है तो उस से दोगुने आकार के जलधारी होनी चाहिए जैसे कि अगर दो इंच के शिवलिंग है तो चार इंच की जलाधारी होनी चाहिए और घर में जलधारी का मुख्य उत्तर दिशा में होना चाहिए !
मंदिर में अगर नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना करनी है तो जगह के हिसाब से स्वयं ही आकार निर्धारित कर सकते है, माँ नर्मदा जी का उद्गम अमरकंत में हुआ है !
तो प्राचीन समय में जब नर्मदा जी का जल सतत प्रवाह होता था तो पत्थर आपस में टकरा – टकरा के शिवलिंग का स्वरूप धारण कर लेते थे !
परंतु वर्तमान में नर्मदा जी के ऊपर बाँधो का निर्माण हो जाने के कारण
नर्मदा जी का सतत जल प्रवाह रुक गया है जिससे पत्थरों का आपस में टकराना बंद हो गया है जिससे पत्थर प्राकृतिक रूप से शिवलिंग का रूप नहीं ले पाते अतः वर्तमान में यह कार्य ग्राम बकावा में हमारे द्वारा किया जाता है!
हमारे द्वारा नर्मदा जी से पत्थरों को निकाल कर तराश कर शिवलिंग निर्माण का कार्य देवी अहिल्या बाई होकर के समय से चला आ रहा है हमारे परिवार के द्वारा नर्मदेश्वर शिवलिंग का कार्य किया जा रहा है !
नर्मदा जी से जब हम शिवलिंग निकाल कर लाते है तब वह टेढ़ेमेढ़े रहते हैं हमारे द्वारा केवल उन्हें गोल करने का कार्य किया जाता है
परंतु नर्मदेश्वर शिवलिंग के ऊपर जो भी आकृति रहती है और जो भी रहता है वह पूर्ण रूप से प्राकृतिक होता है हमारे द्वारा रंग या आकृति में किसी भी प्रकार से छेड़-छाड़ नहीं की जाती है हमारे द्वारा केवल शिवलिंग को गोल करने का कार्य किया जाता है और जो शिवलिंग के ऊपर रंग होता है और आकृति होती है वह पूर्ण रूप से प्राकृतिक होती है हमारे द्वारा सिर्फ़ उन्हें शिवलिंग का रूप दिया जाता है नर्मदेश्वर शिवलिंग का यह निर्माण कार्य भारत के एकमात्र गाँव ग्राम बकावा में होता है
जिसे मध्यप्रदेश में शिव की नगरी के नाम से भी जाना जाता है
बकावा गाँव ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से 50 किलोमीटर की दूरी पर है
हमारे पास घर में रखने के लिए और मंदिर में रखने के लिए नर्मदेश्वर शिवलिंग का अद्भुत भंडार है !
नर्मदेश्वर शिवलिंग को अपने घर में रखना शुभ माना जाता है। इसके पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक कारण हैं:
- शांति और समृद्धि: नर्मदेश्वर शिवलिंग घर में रखने से घर में शांति, समृद्धि और खुशहाली आती है। इसे भगवान शिव की कृपा का प्रतीक माना जाता है, जो परिवार के सभी सदस्यों की रक्षा करता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: नर्मदेश्वर शिवलिंग को घर में स्थापित करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह घर के वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाता है।
- आरोग्य और सुख: माना जाता है कि नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा करने से घर के सदस्यों को आरोग्य और सुख की प्राप्ति होती है। इससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। इससे मन को शांति मिलती है और ध्यान में स्थिरता आती है।
- भगवान शिव की कृपा: नर्मदेश्वर शिवलिंग भगवान शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है। इसे घर में स्थापित करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इसलिए, नर्मदेश्वर शिवलिंग को घर में रखना और नियमित रूप से उसकी पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।